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दो मिनट का सामूहिक मौन धारणकर दिवंगत आत्मा को दी गई श्रद्धांजलि।

दरभंगा: सीएम कॉलेज के पूर्व मैथिली- प्राध्यापक प्रो० दयानन्द झा का आकस्मिक निधन के कारण महाविद्यालय के वरीय प्राध्यापक एवं समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ० प्रभात कुमार चौधरी की अध्यक्षता में एक शोकसभा का आयोजन किया गया।
इसमें डॉ० मयंक श्रीवास्तव, डॉ० नीरज कुमार, प्रो० रागनी रंजन, डॉ० सुरेन्द्र भारद्वाज, डॉ० शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ० संदीप कुमार, डॉ० उम्मे सलमा, विपिन कुमार सिंह, सृष्टि चौधरी, प्रतुल कुमार, कमलेश कुमार, प्रहर्ष पूलक, डॉ० वीरेन्द्र कुमार झा, भगवान मंडल, राजेन्द्र कामति एवं मिथिलेश यादव सहित अनेक शिक्षक- शिक्षकेतर कर्मी तथा छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।

इस अवसर पर दिवंगत आत्मा की परम शांति के लिए 2 मिनट का सामूहिक मौन धारणकर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।
अपने संबोधन में डॉ० प्रभात कुमार चौधरी ने कहा कि पठन- पाठन में गहन रुचि रखने वाले मैथिली के विद्वान शिक्षक प्रो दयानन्द झा छात्र- छात्राओं के बीच काफी लोकप्रिय थे। अपने छात्र जीवन से ही उन्हें जानता था और उनके सहकर्मी बनकर सी एम कॉलेज में काम करने का भी सौभाग्य मिला। मुझे प्रोफेसर झा से बहुत कुछ सीखने को मिला है, जिन्हें मैं अपने जीवन भर नहीं भूल सकता हूं।

प्रधानाचार्य डॉ० अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि एक कर्तव्यनिष्ठ एवं समयपायबंद आदर्श शिक्षक के रूप में प्रो दयानन्द झा हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी शिक्षण- विधि एवं आचरण से न केवल छात्र- छात्राओं को, बल्कि शिक्षक एवं कर्मियों को भी बहुत कुछ सीख मिली है। उनके योगदानों को आने वाले लंबे काल तक भी महाविद्यालय परिवार नहीं भूल पाएगा। डॉ० आरएन चौरसिया ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका निधन मैथिली साहित्य की अपूरणीय क्षति है। व्यक्तिगत रूप से उनके संपर्क में था। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को परम शांति एवं परिवार को दुःख सहने की क्षमता प्रदान करें।

ज्ञातव्य है कि प्रो झा का निधन गत 1 मई को उनके काबराघाट, दरभंगा स्थित निवास पर हो गया। वे मूलतः मकुनमा, खजौली, मधुबनी के निवासी थे। उन्होंने सीएम कॉलेज में 1974 ईस्वी में व्याख्याता के रूप में अपनी सेवा प्रारंभ की और जनवरी 1992 में उनका स्थानांतरण विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में हुआ था। जहां से उन्होंने 31 जनवरी, 2004 को अवकाश ग्रहण किया था। उन्होंने अपने पीछे एक पुत्र- पुत्र वधू, 4 बेटी- दामाद, 4 नाती तथा दो नतनी को छोड़ गए।

उनके सुपुत्र प्रशांत कुमार झा ने बताया कि उनकी रूचि मैथिली सहित संस्कृत एवं नेपाली भाषा में भी थी। उन्हें मैथिली साहित्य में बिंब पदावली, दर्पण तथा जीवन दर्पण पुस्तकों की रचना की रचना की तथा अनेक छात्रों के पीएच डी- शोध पर्यवेक्षक भी रहे।

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